शेरसिंह नाम का एक राजा था. उसके राज्य में कोई भी व्यक्ति असंतुष्ट नहीं था, किसी को भी किसी चीज की कमी नहीं थी. राजा से जो भी व्यक्ति मदद की गुहार करता या अपने निजी काम के लिए धन की मांग करता था तो वह
उसकी पूर्ति कर दिया करता था. इस बात से उनके ही दरबार के एक दरबारी, जिसका नाम बहादुर था, ने सोचा कि राजा बहुत ही दयालु है, क्यों न इसका फायदा उठाया जाए ! उसने राजा का बहुत ही खास और भरोसेमंद दरबारी
बनने का सोचा, जिससे राजा उसे अपने खजाने की रखवाली के लिए तैनात कर दें. इसके लिए उसने एक योजना बनाई. वह राजा के आसपास ही रहा करता था, राजा शेरसिंह जो म भी काम कहते, वह झट से कर देता
और राजा के साथ हर जगह जाकर उनकी मदद भी किया करता. राजा ने एक बार उससे किसी व्यापारी के यहां से आए धन को तहखाने में रखने के लिए कहा, और बहादुर ने बड़ी ही
ईमानदारी से सारा का सारा धन
तहखाने में रख दिया. राजा यह सब देखकर बहादुर और उसकी ईमानदारी से बहुत प्रभावित होने लगे. राजा ने उसे बुलवाया और कहा- "बहादुर, तुम अपने काम में बहुत ही ईमानदार हो, मैं तुमसे बहुत प्रभावित हुआ हूं और मैं तुम्हे
अपने खजाने की रखवाली करने के लिए तैनात करता हूं. यह सुनकर बहादुर खुशी से फूला नहीं समा रहा था. उसने यह स्वीकार कर लिया और वह f खजाने का रखवाला बन गया. कुछ समय तक उसने अपना काम ईमानदारी
से किया, जिससे राजा को उस पर और भी ज्यादा भरोसा हो जाए. फिर उसने खजाने में घोटाला करना शुरू कर दिया. एक के बाद एक घोटाले करता चला गया, जिससे खजाने में बहुत ज्यादा नुकसान होने लगा था. किन्तु
राजा को बहादुर पर पूरा भरोसा था.. उसे लगा कि कोई और है जो उसके खजाने मेंघोटाला कर रहा है. उसने अपने सैनिकों से इस घोटाले के बारे में पता लगाने को कहा. सभी लोग उस घोटाले करने वाले आदमी को खोजने लगे. कुछ दिनों बाद पता चला कि यह
सब घोटाला कोई और नहीं, बल्कि बहादुर ही कर रहा था. राजा ने बहादुर को दरबार में बुलाया और उससे कहा- तुम तो बहुत ही बेईमान, तुमने मेरा भरोसा तोड़ा है, तुम्हें दंड अवश्य दिया जाएगा. ऐसा कहकर राजा ने उसे महल
से निकाल दिया. महल से निकाले जाने के बाद बहादुर ने सोचा कि अब मुझे कोई काम नहीं मिलेगा और यह सब राजा की वजह से हुआ है, मैं राजा को मार दूंगा. ऐसा सोचते हुए उसने राजा को मारने की योजना बनाई, वह चुपके
से छिपते हुए महल के अंदर घुस गया और किसी तरह वह महल के रसोईघर में पहुंचकर उसने राजा के खाने में जहर मिला दिया, जिससे राजा की मृत्यु हो जाए. किन्तु राजा बहुत ही दयालु और अच्छा इंसान था. उसने यह खाना
गरीबों में बांटे जाने का एलान कर दिया. बहादुर यह सुनकर डर गया. उसे लगने लगा कि मैं तो राजा को मारना चाहता हूं, लेकिन ये क्या यह खाना मासूम और गरीब लोगों को खिलाया जाने वाला है, किन्तु मैं उन सब की मृत्यु नहीं होने दे
सकता. तब वह राजा के पास गया और उनसे कहने लगा कि 'राजन! यह खाना गरीबों में मत बांटिए, इसमें जहर मिला है, मुझे क्षमा कर दीजिए. मैं लालच में आकर यह गलत कदम उठा बैठा. राजा के अच्छे स्वभाव के कारण उनकी जान
भी बच गई. बहादुर भी उनके इस आचरण से बहुत प्रभावित हुआ और उसने राजा के दिखाए गए रास्ते पर चलने का फैसला किया.
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