तेरी चाहत मे पार्ट (25) Love story // hindi storie / hindi kahani // stories | Hindi story // story // Love kahani
Lovestory 25
रेस के लिए अब दोनों आमने सामने खड़े थे!!! दोनों की गाड़ियां एक लाइन में खड़ी थी!! पर और तीन गाड़ियां वहाँ क्यों हैं...??? यह बेला को समझ में नहीं आया !!! बेला ने आरव की तरफ देखा जो पूरी तरह रेडी था। अपने हैल्मेट को हाथ में लिए उसी की तरफ बढ़ रहा था!! "तो शुरू करें????" बेला ने हाँ में सिर हिलाया और वह अपनी गाड़ी में जाकर बैठ गई!!! दोनों ने रेस स्टार्ट की !! वह तीन गाड़ियां जो वहाँ प्रश्न थीं.. वह भी रेस में शामिल हो गई!! बेला को अजीब लगा!! क्योंकि रेस सिर्फ उन दोनों के बीच होनी चाहिए थी!! इन गाड़ियों के शामिल होने से बेला को अजीब लगना जायज था!! बेला आगे बढ़ती रही...!! पर आरव इस बार उसे हराने की पूरी तैयारी में था!! बेला ड्राइविंग में अच्छी है.. यह बात उसे वर्कशॉप के दौरान पता चली थी और उसे याद थी!! अब बेला को किसी भी कीमत पर हराना था उसे!!! उस रेसिंग ट्रैक के तीन राउंड पूरे करने थे!! दो राउंड पूरे हो चुके थे !! और अगले राउंड पर विनर का पता चलने वाला था!! पर यहाँ थोड़ा सा ट्विस्ट है!! अब आरव भाईसाहब को तो पता था की वह ऐसे तो ड्राइविंग में जीत नहीं सकते... तो इन्होंने थोड़ी सी चिटींग कर ही ली!! वह जो तीन गाड़ियां थी!! वह आरव के इशारे पर बेला को घेर कर खड़ी हो गई!! बेला को ऐसी जगह घेरा था उन गाड़ियों ने की बेला की गाड़ी हील भी नहीं पा रही थी!! चलना तो बहुत दूर की बात !! बेला ने आरव की गाड़ी की तरफ देखा जो फिनिश लाइन पार कर चुकी थी!!! आरव मुस्कुराते हुए अपनी गाड़ी लेकर उसके पास आया!!!
आरवः: तो अब तुम अपनी हार मानती हो या नहीं???
बेलाः: बिल्कुल नहीं!! आपने चिटींग की है!!
आरवः: इसमें मेरी कोई गलती नहीं!!! तुमने मुझे नियम बताए नहीं थे!!! और बिना नियमों के कोई रेस नहीं होती!!
बेलाः: मन में, बहुत बूरे हैं यह!! लेकिन मैंने हार नहीं मानी.. तो हम दोनों और गेम खेलेंगे !!! जो दो गेम जितेगा वह जीत जाएगा !! और अब की बार कोई नियम नहीं होंगे!!!
आरवः: ठीक है मुझे मंजूर है!! वैसे भी में एक गेम तो जीत ही चुका हूं!!!
करीब आधे घंटे बाद आरव और बेला कराटे की जगह पर पहुंचे!!! आरव के देखते ही चेहरे पर मुस्कान फैल गई!!! तुम श्योर हो तुम्हें यहाँ लड़ना है??? बेला ने इधर उधर सबको देखा जो आपस में लड़ रहे थे!! उनकी तरफ देख टेंशन में उसने मुस्कुरा कर कहा.. "हाँ!!! हम यहीं लड़ेंगे !!!" आरव की मुस्कान और गहरी हो गई।। दोनों कराटे की ड्रेस पहन कर बाहर आएं!! एक दुसरे के सामने झुक कर उन्होंने अभिवादन किया!! आरव तो उपर देख रहा था पर बेला अब भी झुकी हुई थी!" यह मैंने क्या कर दिया??? अपनी ही मौत को गले लगा लिया!!! मुझे गेम जीतनी है!!! लेकिन हाथ पैर तुड़वाकर नहीं!!! अब क्या करूं??? बेला सोच... सोच....!!! नहीं तो तु यहाँ से आज जिंदा वापस नहीं जाएगी!!!" आरव उसके पास आ गया!! "तुम उपर देख सकती हो... क्या हुआ.. डर लग रहा है???"
बेलाः: मैं क्यों डरूंगी भला।। डरना तो आपको चाहिए !!!
आरवः: किसी की शक्ल पर बारह बजते सुना था.. आज देख भी लिया!!!
बेलाः: कितने दुष्ट हैं आप!!! मेरे डर का मजाक उड़ा रहे हैं!!!
आरवः: तुम्हें शायद पता नहीं ना.. मैं कराटे में चैंपियन हूं!!!
सुनते ही बेला की आंखों के सामने अंधेरा छा गया!!! उसने देखा आरव उसे पकड़कर.. कभी यहाँ से या फिर कभी वहाँ से पछाड़ रहा है।। उसके हाथ को पकड़कर गोल घूमाकर उसने फिर उसे पछाड़ दिया !!! अबकी बार उसे पीछे से पकड़कर पछाड़ दिया !!! बेला को दिन में तारे नज़र आने लगे !!! यह सब अभी अभी उसने बस सोचा था!! एक्शन होना तो अभी बाकी था!!! आरव जैसे ही लड़ने के लिए उसके पास आया.. और उसने उसका हाथ पकड़ा बेला जोर से चिल्लाई... "नहीं......... मि. आरव!!!"
आखः: अब क्या हुआ???
बेलाः: टाइम प्लीज... टाइम प्लीज...!! मुझे वॉशरूम जाना है!!!
बेला वहाँ से भाग गई!! "सब बहाने हैं।। साफ साफ दिख रहा है कितना डरी हुई है!!! कहकर आरव मुस्कुरा दिया !!! बेला वॉशरूम में आ गई थी!! उसने जल्दी से निशा को फोन किया!!! और थोड़ी देर बाद वह फिर कोर्ट में आ गई !!! आरव मन ही मन अपनी जीत पर मुस्कुरा रहा था!! उसे पता था जीत उसकी ही होने वाली है!!! बेला जब सामने आई तो उसने कहा.. यह तुमने अपने हाथ पीछे क्यों कर लिए अभी से!!!
अभी तो हमें लड़ना है!!! या फिर तुम पहले ही अपनी हार मान चुकी हो!!!" बेला ने ना में सिर हिलाया और कहा.. "आरव सर आपसे कोई मिलने आया है!!!" आरव ने इधर उधर देखा.. कोई नहीं था।। फिर जब बेला ने हाथ आगे किए !! आरव जोर से चिल्लाया!! बेला के हाथ में मुर्गी थी!!! बेला ने उसे नीचे छोड़ दिया!! वह मुर्गी यहाँ वहाँ भाग रही थी !! और उसके डर से आरव पूरे कोर्ट रुम के चक्कर लगा रहा था!!! बेला हंसते हुए मजे ले रही थी!! आरव को पंख वाले हर बर्ड से डर लगता है.. यह बात उसने खुद बेला को बताई थी!! जो उसे याद था !! उसने निशा को फोन कर इस मुर्गी को भेजने के लिए कहा था!! और जो अब तक उस पर हंस रहा था!! छोटे बच्चे की तरह उसे कोर्ट में चक्कर काटते देख वह हंस रही थी!!! मुर्गी को पकड़कर बेला आरव के पास ले गई!! जब वह उसे धकने के कारण एक जगह पर सांस लेता दिखाई दिया !!!
आरवः: नहीं.. दूर दूर.. दूर ले जाओ इसे... मुझे डर लगता है इससे दूर हटाओ !!!
बेलाः: आप मुर्गी से कैसे डर सकते हैं सर !! यह इतनी प्यारी है!!! देखो कितनी सुंदर लग रही है!!!
आरवः: तुम्हारे लिए सुंदर होगी!! मुझे उसके नाखून देख कर चक्कर आ रहा है!! बेला जल्दी हटाओ.. नहीं तो मैं तुम्हें आज ही फायर कर ढुंगा!!!
बेलाः: क्या आप अपनी हार मान रहे हैं सर!!
आरवः: नहीं...... मैं नहीं हारा...! ले जाओ इसे अब !!!
बेलाः: आप हार नहीं मान रहे तो ठीक है लडीए मुझसे !!!
आरव ने उसके हाथ में मुर्गी को देखा और दुसरी तरफ मुंह कर के कहा तुम बहुत बूरी हो!!! बेला ने भी जल्दी से जवाब दिया!! मैंने आपसे ही सिखा है सर !!!
बेला मुर्गी को बाहर छोड़कर आई !! आरव ने तब जाकर चैन की सांस लीं!!! बेला ने आरव के सामने आकर कहा.." अब हम दोनों बराबरी पर हैं... सर!!!" बेला मुस्कुराते हुए जाने को हुई तो उसका पैर फिसला और गिरने को हुई तो आरव ने अपने एक हाथ से उसे पकड़ लिया.. और अपनी तरफ खिंच लिया!!! बेला की गिरने के डर से धड़कने बढ़ी हुई थीं!!! और आरव अभी नॉर्मल नहीं हो पाया था!! दोनों की सांसें तेज थीं!!! बेला आरव की आंखों में देख रही थी!! जो अहसास.. आरव को पहले होते थे.. आज भी कुछ ऐसा ही अहसास हो रहा था।। पर अपने आपको संभालते हुए उसने बेला को खड़ा किया!! "तुमने भी चिटींग की इसलिए मैं अब कोई गेम नहीं बोलूंगा!!!"
"आप ऐसा नहीं कर सकते वरना आपको सब अपनी जबान की कद्र करने वाला नहीं समझेंगे !!!"
"समझने दो!! यह पूरी तरह मेरे उपर है!! मुझे खेलना है या नहीं!!!!"
आप ग़लत कर रहे हैं!!!! हमारे बीच एक डील हुई थी !! और अब आप उसे मानने से इंकार कर रहे हैं!!!"
"अब अगर एक टास्क में तुम्हें दूं तो??? जाओ तुम्हें.. ऑफिस पहुंचना है.. सुरज ढलने के पहले पहले !!! अगर अपनी नौकरी बचाना चाहती हो तो टास्क पूरा करो!!! वरना में आगे कोई गेम नहीं खेलूंगा!!!"
आरव ने बेला की तरफ देखा और कोर्ट से बाहर चला गया!!! बेला बस उसे जाता देखती रह गई!!! अभी शाम के पांच बज रहे थे !!! दो घंटों में सुरज ढलने वाला था!! और ऑफिस वहाँ से बहुत दूर था!!! बेला ने अपने कपड़ों की तरफ देखा।। वह कराटे के सफेद कपड़ों में थीं!!! लेकिन आरव को गेम खोलना होगा उसकी नौकरी बचाने के लिए.. यह सोच वह उन्हीं कपड़ों पर दौड़ पड़ी!!! वह भाग रही थी!! और रास्ते पर लोग उसे ऐसे कपड़ों में भागता देख हंस रहे थे!! वह अभी आधे घंटे के रास्ते को ही पार कर पाई थी !!! और बहुत थक चुकी थी!! सांसें बढ़ गई थी.. इसलिए वह एक जगह रुक गई..!! तभी आरव अपनी गाड़ी लेकर उसके पास आया!! गाड़ी से उतरकर वह उसके पास आया.. तो गुस्से और नफ़रत के मिले जुले भाव के साथ बेला ने उसकी तरफ नजर डाली !!
"तुम पागल हो.. मैंने तुम्हें चिढ़ाने के लिए वैसा कहा था!! घर जाओ!! ऑफिस जाने की जरूरत नहीं है!!!"
"नहीं...!! मुझे इस टास्क को कंप्लीट करना है!! में शेखावत कंपनी को छोड़ना नहीं चाहती!! मैं आपको छोड़ना नहीं चाहती !!..."
एक पल के लिए आरव उसकी बात सुनकर स्तब्ध रह गया!! उसे क्या जवाब दे.. उसे सुझा ही नहीं!! पर वह सच बोल रही थी!! इसका अहसास था
उसे!!!" चलो गाड़ी में बैठो !!! में तुम्हें घर छोड़ देता हूं!!!"
"आप मेरी नौकरी को एक चांस दे रहे हैं ना...!! तो ठीक है!!! नहीं.... मैं चली जाऊंगी!!!"
"मैडम.. आप कराटे के कपड़ों में हैं!! और यह ड्रेस हमें रिटर्न करनी है!! गाड़ी में बैठो !!!!"
बेला ने खुद की तरफ देखा और खुद को चपेट लगाई।। और फिर गाड़ी में जाकर बैठ गई!!!
इधर बेला के घर का माहोल कुछ गर्म था!!! दोनों सहेलियां एक दुसरे के सामने कुछ ऐसे तनकर बैठी थी.. की आज जो भी हो जाएं दोनों में से कोई नहीं झुकेगा !!! आलिया बार बार अपनी घड़ी और फोन की तरफ देख बोअर हो चुकी थी!!.. प्रेरणा जी की कमर में दर्द शुरू हो गया था!! पर वह हील नहीं रही थी !!! तभी मोहन जी वहाँ आएं...!! वह किचन में खाना बना रहे थे!!" बहन जी.. आप खाने पर रुक रही हैं ना!! हम सब साथ में डिनर करेंगे !!"
"नहीं भाईसाहब आप हमारी टेंशन मत लिजिए!! आप डिनर कर लिजिए!!!"
"हाँ भाई...!! मेरी अमीर सहेली को मेरे घर का बासी खाना थोड़ी ना रास आएगा!! तुम तो कॉलेज के कैफे में भी कभी कुछ नहीं खाती थी!!!"
"राधा... तुम अपने बारे में नहीं बताओगी!! तुम तो हमारे लेक्चर में भी खाने
लगी जाती थी.. इसलिए मैम ने तुम्हें एक बार पनीशमेंट दी थी!! याद है..???"
"वह तो में.. ऐसे ही....???"
तभी दरवाजा खुला.. और बेला अंदर आई!! अपने सामने प्रेरणा जी और
आलिया को देख वह सदमे में थीं!! "आंटी और आलिया मैम आप यहाँ????"
आलिया ने खड़े होते हुए उसे सफेद चेहरे के साथ "हाय" किया !! वहीं प्रेरणा जी
बेला को देख खुश हो गई!!!
प्रेरणा जीः: बेला मैं तुमसे ही मिलने आई थी!!! दरअसल आज मैं.. तुमसे एक
जरूरी बात करने आई हूं!!! क्या तुम मेरी बहू बनोगी????
प्रेरणा जी की बात सुनकर सब सदमे में थे!! राधा जी बेला के सामने खड़ी हो
गई!! "यह क्या बकवास कर रही हो तुम प्रेरणा???"
आलियाःः मम्मी आप हमें धक्के मारकर यहाँ से निकलवाना चाहती हैं क्या???
मोहन जीः भागते हुए आए, क्या अभी अभी जो मैंने सुना वह सच है!! मेरे कान नहीं बज रहे ना???
सबसे ज्यादा तो हैरान बेला थी!! उसे समझ नहीं आ रहा था वह रिएक्ट कैसे करें??? तभी प्रेरणा जी फिर बोल पड़ी!! हाँ..!! मैं बेला को अपने घर की बहू बनाना चाहती हूं!! इसलिए मैं खुद यहाँ आना चाहती थी!!!
राधा जीः: तुम पागल हो गई हो??? मेरी बेटी तुम्हारे बेटे की कंपनी में काम करती है इसका मतलब यह नहीं की तुम उसका हाथ मांगने सीधे मेरे घर आ जाओ!!!
प्रेरणा जीः: वही तो मैं कहना चाहती हूं राधा!! मैंने सारे तार एकसाथ जोड़े हैं!! जिस दिन में तुम्हें नागपुर में उस होटल में मिलीं थीं!! उसी दिन इन दोनों में प्यार हो गया था!! दोनों एक दुसरे को पसंद करने लगे थे!!! इसलिए तो बेला ने मेरे बेटे की कंपनी में काम करना शुरू किया !!
बेला ने राधा जी की तरफ देखा जो उसे गुस्से से पूर रही थीं।। "मम्मी यह सच नहीं है!! आंटी को गलतफहमी हुई है!!"
प्रेरणा जीः: बेला तुम डर क्यों रही हो?? हमें तुम दोनों के रिश्ते से कोई प्रोब्लम नहीं है!!
बेलाः: मन में, मैं मर गई!! हमेशा मेरी ही जान क्यों फंसती है!! हे भगवान मैंने क्या बिगाड़ा है किसी का !!!
प्रेरणा जीः: राधा तुम गुस्सा क्यों रही हो !! देखो बच्चे समझदार है।। हमें उनके फैसले को मान लेना चाहिए।। आखिर यह उनकी जिंदगी है!! वह अपने हिसाब से ही जीना चाहते हैं ना!!!
थोड़ी देर बाद प्रेरणा जी और आलिया अपने लाए हुए सारे सामान के साथ बाहर खड़ी थी !! राधा जी ने गुस्से से दरवाजा बंद कर दिया!!" ओह राधा तुम अब भी वैसे की वैसी हो!! गुस्सैल.. किसी की ना सुनने वाली !! कम से कम गिफ्ट्स तो रख लेती !!"
आलियाःः मम्मी आपकी सहेली बिल्कुल आप पर गई हैं ना!!
प्रेरणा जीः: चिल्लाते हुए, आलिया........????
"बेला राधा जी के सामने खड़ी हो गई!! मम्मी आप ऐसा कैसे कर सकती हैं उनके साथ??? मैं उन्हीं की कंपनी में काम करती हूं!!! आपको उनसे इसतरह
पेश नहीं आना चाहिए था!!"
"अच्छा!! तो तुम मुझे बताओ अब..!! जो कुछ भी उसने कहा वह सच है ना!! तुम उसके बेटे की वजह से गई थी उस कंपनी में!!"
मोहन जीः: राधा आराम से बात करो !! वह अब बच्ची नहीं है!!
राधाःः आप चुप रहिए !! आपके लाभ प्यार ने ही उसे बिगाड़ कर रखा है!!!
बेला ने सिर नीचे झुका लिया था!! यह बात तो सच थी की वह आरव की वजह से ही उस कंपनी में गई थी!! पर घूम फिर कर बात उसकी नौकरी पर आ जाएगी यह उसने नहीं सोचा था!!! एक जज की तरह आज भी उसकी मम्मी ने फैसला सुना दिया!! "तुम वहाँ नौकरी नहीं करोगी बेला!!!"
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