तेरी चाहत मे पार्ट (18) Love story // hindi storie / hindi kahani // stories | Hindi story // story // Love kahani
Lovestory 18
उस भालू को याद कर वह बेला का, पहली बार मिलना याद करने लगा !! जब वह मुंह छिपाकर उसकी मम्मी के सामने से भाग गई थी!! और इस भालू को उसने वहाँ जमीन पर गिरा दिया था!! आज तुम एक पल की दूरी से वहाँ से भाग गई!! वरना में आज तुम्हें पकड़ ही लेता!! बेला को तब पिछे की तरफ से ही उसने देखा था!! इसलिए बेला का चेहरा वह देख नहीं पाया!!! बेला के बारे में सोचकर जब उसने अपने हाथ में वह भालू देखा तो अपने आपसे कहा.." मैं तुम्हारे बारे में क्यों सोच रहा हूं!! जब तुम भाग ही जाती हो हर बार !! सोचकर आरव ने वह भालू का की चैन वहीं ड्रावर में रख दिया !! और ऑफिस में काम करने लगा!! अपने दुसरे हाथ से वह क्यूब को सोल्व करने लगा!!! क्यूब को सॉल्व कर दिया था उसने !! पर बेला के बारे में ही बार बार सोचे जा रहा था!! उसने वहाँ से उठकर डॉक्टर के पास जाने की सोची !!! और आधे घंटे में डॉक्टर के पास पहुंच गया!! डॉक्टर मेहरा आरव के फैमिली डॉक्टर थे!! आरव ने जाकर ही उनसे पूछना स्टार्ट कर दिया !!
आरवः: डॉक्टर अंकल प्लीज़ मुझे.. चेक किजिए पहले!!
डॉक्टर मेहराः: अरे आरव बेटा.. तुम..??? बड़े दिनों बाद आए हो??? क्या बात
है??? ठीक है यहाँ बैठो !! नर्स अगले पेशंट को थोड़ी देर के लिए रुकने के लिए बोलो!!
आरवः: डॉक्टर अंकल मुझे अजीब अजीब ख्याल आते हैं।। एक ही इंसान के बारे में सोचता रहता हूं!!! और वह इंसान रात को सपनों में भी आ जाता है!!
डॉक्टर मेहराः: हम्मं... किस तरह का इंसान हैं वह.. कुछ बता सकते हो???
आरवः: हाँ..!! वह मेरी कंपनी में काम करता है!! सोते जागते.. खाते पीते.. बस उसी का ख्याल रहता है मेरे मन में!!! खाने में भी मन नहीं लग रहा!! ऐसा लगता है मैं बिना बात के उसी के बारे में सोचता रहता हूं!!
डॉक्टर मेहराःः इसका मतलब तुम्हें मेरी नहीं उस इंसान की जरूरत है!!
आरवः: मतलब... में समझा नहीं???
डॉक्टर मेहराः: तुम्हें उस इंसान से प्यार हो गया है और क्या???
आरवः: मुझे उससे प्यार कैसे हो सकता है डॉक्टर अंकल !! वह लड़का है!! और जहाँ तक मैं अपने आपको जानता हूं.. अभी में कन्वर्ट नहीं हुआ हूं!!
डॉक्टर मेहराः: ओह फिर तो सिरियस प्रोब्लम है!! एक काम करो.. खुद को समझाओ.. की वह इंसान सिर्फ तुम्हारा एंप्लॉई है और कुछ नहीं!! उसकी बातों को और उसे.. निग्लेट करो!! जब तुम अपने दिमाग को समझाओगे की वह.. वह नहीं है जिसे तुम चाहते हो.. तो ऐसे ख्याल आने बंद हो जाएंगे !!
आरवः: शायद यह तरकीब काम कर जाएं!!
आरव डॉक्टर मेहरा से कुछ सप्लीमेंट्स लेकर ऑफिस आ गया !!!
इधर बेला अपना वीकेंड खत्म कर घर वापस आने के लिए तैयार थी !! उसने जल्दी
से अपने लड़के वाले कपड़े बैग में भरे !! और वीग को भी संभाल कर डाल दिया!!
तभी उसकी मम्मी उसे ब्रेकफास्ट के लिए बुलाने आ गई!!
"बेला कहाँ हो??? जल्दी से नाश्ते के लिए आ जाओ!!"
"आ रही हूं मम्मी !! बस थोड़ी देर!!!"
बेला ने बैग लाकर सोफे पर रख दिया !! और खाने बैठ गई!! उसने जल्दी
जल्दी खाना शुरू किया तो उसकी मम्मी ने उसे फिर डांटना शुरू किया।।
* धीरे से खाओ !!! किस बात की जल्दी है तुम्हें???" तुम्हारा ऑफिस कैसा है बेला???? वहाँ कैफेटेरिया है या नहीं!!"
"नहीं मम्मी!! लेकिन हम सब मिलकर खाना ऑर्डर करते हैं!! और अपना अपना शेयर देते हैं।। जिससे कम पैसों में काम हो जाता है!!!"
"इसका मतलब तुम रोज बाहर का खाती हो?? हेल्थ पर क्या असर पड़ता होगा!! तुम यहाँ घर पर रहकर ऑफिस भी जा सकती हो!!!"
"नहीं मम्मी!!! यह घर मेरे ऑफिस से बहुत दूर है!! और निशा अकेली रहती है!! उसे मेरी कंपनी की जरूरत है!!! और मम्मी में अब बड़ी हो गई हूं!! इतनी चिंता मत किजिए !! मैं खुद का ख्याल रख सकती हूं!!"
"इसी बात की तो चिंता है!!! तुम बड़ी तो हो गई हो!! फिर भी नादान हो!! कुछ नहीं समझती!!! कहाँ जा रही हो??? इसे खत्म तो करती जाओ !!!र उस बैग में क्या है!!"
"मम्मी मुझे लेट हो रहा है बाय!! और मेरी काम की चीजें हैं बेग में!!! इसे आप खा लिजिए !!! पापा को बोलिएगा.. मैंने उन्हें बाय कहा है!!!"
बेला जल्दी से निचे चली गई!!! उसने बिल्डिंग के हॉल में जाकर कपड़े चेंज
किए !! वीग लगाई.. और उसे सेट कर आइने में देखा।। जब वह पूरी तरह रेडी हो
गई तो ऑफिस के लिए निकल गई!!! ऑफिस पहुंच कर वह दौड़ते हुए अंदर गई
तो आरव गेट पर ही खड़ा था।। उसने उसे अनदेखा करते हुए भी कह दिया.. "गुड
मॉर्निंग मि. आरव !!!"
आरवः: रुको !!! गुड मॉर्निंग!!! कल तुम कहाँ थे अद्वैत ???
बेलाः: कल मैं घर पर था !! मेरी छुट्टी थी न कल !!
आरवः: क्या किया तुमने घर पर ???
बेलाः: मैंने खाना खाया.. फिर सोया.. फिर बहुत देर तक गेम खेलता रहा !! क्यों
सर... कोई प्रोब्लम है???
आरव ने उसके चेहरे के पास आते हुए कहा.." नहीं तो!! कोई प्रोब्लम नहीं
है!!! तभी सामने से आ रहे हर्ष ने आरव को देखा.. और वही से कहना शुरू किया!!
"आरव तुम सुबह सुबह मेरे एंप्लॉई को परेशान करने लगे???"
आरवः: परेशान??? मैंने तो सिर्फ कुछ सवाल पूछे हैं!!!
हर्षः: गुड मॉर्निंग अद्वैत !!! चलो.. मैं कॉफी बना रहा हूं।।
अद्वैतः: ठीक है!! में कप धो देता हूं!!
आरवः: मुझे भी चाहिए कॉफी!!
आरव वहाँ से कैफे की तरफ चला गया !!! दोनों ही उसे देखते हुए कॉफी मशीन के पास चले आएं !! दोनों एक दुसरे के साथ हंस हंस कर बातें कर रहे थे!!! और कॉफी भी बना रहे थे!!! आरव अपनी दोनों आंखें उन पर बनाकर उन्हें देखखे जा रहा था!! फिर उसने पूछ ही लिया!!" तुम दोनों कुछ ज्यादा ही फ्रेंडली नहीं हो गए हो???"
हर्षः: तुमने सही पहचाना!! वह क्या है ना हमने एक दुसरे से सिक्रेट शेयर किया है!! और उस सिक्रेट की वजह से हम में दोस्ती हो गई है!!
आरवः: अच्छा और क्या है वह सिक्रेट???
अद्वैतः: सिक्रेट बताया थोड़ी ना जाता है सर !!
अद्वैत यानी बेला ने कॉफी का कप आरव की तरफ बढ़ा दिया!! आरव ने एक सीप लेकर बूरा सा मुंह बनाया!! "ओह.. यह बहुत कड़वी है!!!"
"कड़वी है??? नहीं तो मेरी कॉफी तो बहुत अच्छी है हर्ष सर!!"
* मैंने तुम्हें यहाँ कॉफी पीने के लिए हायर किया है या काम करने के लिए!! जाओ जाकर अपना काम करो!!"
"एस सर !! हर्ष सर में कॉफी अपने साथ ले जा रही हूं!! वापस लौटा ढुंगा
थोड़ी देर में!!"
हर्ष:: एक मिनट रुको!! आरव तुम्हें इससे कुछ काम है क्या???
आरवः: नहीं!!
हर्षः: तो फिर तुम जाओ!! मुझे इसे कुछ काम सिखाना है!!
आरव ने हर्ष की चेयर छोड़ दी !! और अपने केबिन में चला आया !!! हर्ष ने बेला
से कहा.." बेला बैठ जाओ!! और कॉफी खत्म कर के जाना!!" बेला मुस्कुराते हुए
बैठ गई और कॉफी पीने लगी !! इधर अपने केबिन में आकर आरव एक जगह पर
बैठ नहीं पाया !!! "तुम लड़की जैसे क्यों दिखते हो आखिर ??? में कंट्रोल क्यों नहीं
कर पा रहा खुद को !!! आरव डॉक्टर अंकल की बातें याद
करो !!!" आरव अभी उन बातों को सोच ही रहा था की उसके पापा का फोन आ गया!!
आरवः: सिनियर अगर में पागल हो गया.. तो हमारे कंपनी के सारे शेयर्स आलिया के नाम पर मत करना!! वह दुसरे दिन कंपनी बेच देगी !! और मेरी रुम कभी उसे मत देना सिनियर !!
सुशांत जीः: तुमने सुबह सुबह पी रखी है क्या??? यह कैसी बातें कर रहे हो???
आरवः: सिनियर.. हमारी कंपनी को बचाना ठीक है!! मैंने बहुत मेहनत से इसे खड़ा किया है!!
सुशांत जी ने बड़बड़ाते हुए फोन रख दिया !! और आरव सिर पकड़ कर बैठ गया।।
बेला की मम्मी ने अब बेला के रुम में साफ सफाई करनी शुरू की !! सारे कपड़े अस्त व्यस्त थे!! उन्होंने सब कपड़ों को करीने से घड़ी कर के रखा!! फिर उनकी नजर कंप्यूटर टेबल पर गई!! जहाँ बेला का आई डी कार्ड रखा हुआ था!!! वह आज अपना आई डी कार्ड ले जाना भूल गई थी!! "उफ्फ यह लड़की भी ना??? आई डी कार्ड के बगैर इसे अंदर एंट्री कैसे मिलेगी??? लगता है मुझे ही जाना पड़ेगा अब!!" राधा जी फटाफट तैयार हो गई!! उन्होंने आई डी कार्ड को पर्स में डाला !! और टैक्सी लेकर बेला के ऑफिस पहुंच गई!! बेला ने अपने फोन को रिंग होते देखा.. तो उसकी नजर फोन पर पड़ी!! मम्मी का फोन देखकर उसने धीरे से मम्मी से बात करना शुरू किया !!
बेलाः: हाँ मम्मी !! बोलो !!!
राचा जीः: यह सही बिल्डिंग है ना??? मैं तुम्हारे ऑफ़िस के सामने खड़ी हूं!! उपर आ जाऊ???
बेलाः: नहीं मम्मी !!! प्लीज़.. प्लीज़ उपर मत आना.. सब हंसेंगे मुझ पर !! रुको.. मैं दो मिनट में नीचे आ रही हूं!!
बेला ने यहाँ वहाँ देखा !! सब अपने अपने काम में व्यस्त थे !! बेला ने अपनी बैग उठाई.. और वॉशरूम की तरफ भाग गई !! उसने अपने आपको आईने में देखा.." मेरी मम्मी इस लड़के को नहीं पहचानती.. अगर उन्होंने मुझे ऐसे देखा... तो सबके सामने मेरी इज्जत का फालूदा बन जाएगा!!!" बेला ने वीग उतार कर लड़की वाले कपड़े पहन लिए!! और बालों की पोनी टेल बना ली!! अब सब ठीक था!! पर ऑफिस के बाहर अगर वह निकली और किसी ने उसे ऐसे देख लिया तो क्या होगा सोच सोचकर वह परेशान हुई जा रही थी!!
आरव अपने केबिन से नीचे आया!! सब लोग काम कर रहे थे!! पर उसे अद्वैत नजर नहीं आया !! यहाँ वहाँ नजरें दौड़ाकर उसने प्रतिक से पूछा "अद्वैत कहाँ हैं???"
'सर अद्वैत अभी अभी बाहर गया है!! नहीं.. अपना बैग लेकर भागा है!! उसने कुछ बताया नहीं!!"
आरव की नजर उसकी डेस्क पर गई।। जहाँ.. एक पेन ड्राइव पड़ा था!! और उस पेन ड्राइव पर वही भालू का की चैन लगा था!!! आरव ने उसे उठा लिया।। और देखने लगा!!! "यह तो वही है.. जिसे उस लड़की ने ड्रोप किया था।। लेकिन यह अद्वैत के पास???" आरव वह भालू वाला की चैन लेकर बाहर आ गया।! उसने अपनी मम्मी को फोन किया !!
प्रेरणा जीः: आज मेरे बेटे को ऑफिस आवर में अपनी मम्मी की याद कैसे आ गई??? जरूर कुछ काम होगा.. है ना???
आरवः: मम्मी इट्स अरजेंट.. आपने अपनी दोस्त की बेटी का नाम क्या बताया था???
प्रेरणा जीः: मेरी दोस्त की बेटी??? यह पहली बार है जब तुम सामने से किसी लड़की के बारे में पूछ रहे हो!! कहीं तुम उसे सच में पसंद तो नहीं करते???
आरवः: क्या उन्हें सच में बेटी है??? कोई बेटा नहीं???
प्रेरणा जीः: तुम चाहो तो मैं पता कर सकती हूं!!! क्या में पूछू उनसे???
आरवः: नहीं रहने दिजिए!! रखता हूं!!
आरव ने फोन रख दिया!! प्रेरणा जी बड़बड़ाई.. "पता नहीं क्या चलता रहता है इसके दिमाग में!! और ऐसे ही चलता रहा तो यह शादी कब करेगा???" आरव फोन रखते ही रिसेप्शनिस्ट पूजा के पास आ गया!!! जहाँ पूजा ऑनलाइन कोई सिरीज़ देख रही थी!! आरव ने उसके पीछे खड़े रहकर कहा.. "एक और सिरीज़ देखनी स्टार्ट कर दी तुमने??? और काम का क्या???"
पूजाः: हड़बड़ाकर, सर आप...??? वह मैं... कोई काम नहीं था तो??? आपको कुछ चाहिए सर???
आरवः: मुझे उसका डिप्लोमा चाहिए..!
पूजाः: सॉरी सर.. वह हर बार अपना डिप्लोमा लाना भूल जाता है!! और कहता
है उसका आई डी एक्सपायर हो चुका है!! अगश्र आप चाहते हैं तो में अभी उसे लाने को कह देती हूं!!
आरवः: उसकी कोई जरूरत नहीं है।। वह तुम्हें कभी लाकर नहीं देगा!! और तुम्हें सिरिज देखनी है.. तो लगता है जॉब की जरूरत नहीं है!!
पूजाः: नहीं सर !! ऐसी बात नहीं है!!
आरव वहाँ से चला गया!! और पूजा सोचती रह गई!!" वह मुझे क्यों लाकर नहीं देगा??? ऐसा क्यों कहा सर ने??? कहीं इस अद्वैत ने डॉक्यूमेंट्स में झोलझाल तो नहीं किया!!!"
इधर बेला मम्मी के पास पहुंच गई!! राधा जी फूल ऑन सेल्फी लेने में बीजी थीं!!! "मम्मी आप यहाँ क्यों आई???"
राधा जीः: मैं तुम्हारा आई डी कार्ड लेकर आई हूं जिसे तुम घर पर भूल गई थी!! और लंच भी लेकर आई हूं!! चलो ऑफिस में चलकर खाते हैं!!
बेलाः। मम्मी अंदर बाहर वालों को आने के लिए मना किया गया है!! आप अंदर नहीं जा सकती!! चलिए यहाँ से!!
राधा जीः: तो ठीक है यह लंच तुम अपने साथ ले जाओ!! मैं तुम्हारे पापा के साथ खा लुंगी।। और हाँ.. अगर यह काम अच्छा नहीं है.. तो सिविल सर्विस के लिए ट्राइ करो।। क्या रखा है उस कंप्यूटर में.. और कोडिंग में???
बेलाः: मम्मी...!! आप जाइए यहाँ से!! मैं अंदर जा रही हूं!!
आरव अद्वैत को ढूंढते ढूंढते नीचे चला आया था!! उसने फ्रंट डेस्क पर भी
उसके बारे में पूछा!! जब वह अद्वैत के बारे में पूछ रहा था.. बेला मेन गेट से अंदर
एंट्री ले रही थी!! फिर जब आरव ने नजरें घूमाई तो उसे एक लड़की लिफ्ट के अंदर
जाती दिखी!! जब तक वह पहुंचा लिफ्ट का दरवाजा बंद हो चुका था!! अब उसने
सिद्धीयों से उपर जाने का रास्ता ले लिया!! आज वह अद्वैत के सच का पता लगाकर
ही दम लेना चाहता था!!!
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