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तेरी चाहत मे पार्ट (34) Love story // hindi storie / hindi kahani // stories | Hindi story // story // Love kahani

तेरी चाहत मे पार्ट (34) Love story // hindi storie / hindi kahani // stories | Hindi story // story // Love kahani Lovestory 34 "तुम अगर चाहती तो उन्हें भी समझा सकती थी!! पर तुमने ऐसा नहीं किया !!! देखो बेला.. मुझे मत बताओ की क्या करना है??? यह मेरी कंपनी है!! और तुम सिर्फ यहाँ काम करती हो!! अगर तुम्हें.. मिसेज शेखावत की तरह रौब झाड़ना है तो यह कभी नहीं होगा!! जाओ यहाँ से..... मैंने कहा.. जाओ यहाँ से!!!" बेला नाराज हो गई थी.. उससे भी ज्यादा आरव के कहे शब्दों से हर्ट हो गई थी!! वह बाहर चली आई... और दौड़ते हुए.. कैफे की तरफ चली गई!!! आरव के शब्द चुभ से रहे थे उसे !!! हर्ष और शेखर जी किसी फाइल को देखते हुए बात कर रहे थे।। उन्होंने बेला को भागते हुए देखा !! हर्ष ने फाइल शेखर जी को थमा दी।। और बेला के पीछे चला गया!!! शेखर जी ने आरव के केबिन की तरफ देखते हुए सोचा "लगता है बेला ने बात की और आरव सर ने सुनी नहीं!! और उसे ही डांट पड़ गई!!!.. बेचारी बेला!!!" हर्षः: क्या मैं भी यहाँ आकर बैठ सकता हूं??? बेलाः: हाँ!!! बैठिए ना!!! हर्षः: क्या हुआ??? तुम बात करने गई थी

मोहब्बत है सिर्फ़ तुम से पार्ट (255)/ hindi storie / hindi kahani // stories | Hindi story, love storyLove stories


मोहब्बत है सिर्फ़ तुम से पार्ट (255)/ hindi storie / hindi kahani // stories | Hindi story, love storyLove stories



श्लोक एकटक अमीषी के मासूम चेहरे को देख रहा था। अमीषी अभी भी धीरे धीरे सिसक रही थी, उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे जिसे वो अपने छोटे छोटे हाथों से पोंछ रही थी। उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था। आंखों में बेपनाह दर्द लिए अमीषी बस सिसक रही थी। जिन आंखों में श्लोक सिर्फ और सिर्फ खुशी देखना चाहता था आज उन आंखों में सिवाय दर्द के और कुछ नहीं था। ये देख श्लोक अंदर ही अंदर टूट रहा था। अमीषी को इस तकलीफ़ में देखकर उसे कितनी तकलीफ हो रही थी इसका तो शायद अंदाजा लगाना भी मुश्किल था। अमीषी अभी भी श्लोक की गोद में ही थी।

"आ... आप ब... बहुत बुरे हैं! ब... बहुत बुरे! में आ... आपसे कभी बात न... नहीं करूंगी।" बच्चों की तरह ना में सिर हिलाती हुई अमीषी बड़ी मासूमियत से बोली।

इससे पहले कि श्लोक कुछ कहता अचानक से अमीषी को तेज तेज हिचकी आनी शुरू हो जाती है। श्लोक झट से अमीषी को बेड पर बैठाता है और टेबल से पानी का गिलास उठाकर अमीषी को पानी पिलाने लगता है। अमीषी फिर ना में सिर हिलाने लगती है। उसे श्लोक के हाथों से पानी नहीं पीना था। ब्लोक एक हाथ से हल्के से अमीषी के जबड़े को पकड़ उसके चेहरे को स्थिर करता है और जबरदस्ती पानी का गिलास उसके होंठों से लगा देता है। रोने से अमीषी का भी गला सूख गया था और वो प्यासी थी। श्लोक के ऐसा करने से अमीषी भी पानी पीने लगती है और एक ही बार में पूरी गिलास पानी पी जाती है तब जाकर अमीषी की हिचकी रूकती है।

श्लोक अपने हाथों से अमीषी के आंसू पोंछता है और हल्के से उसका माथा चूम लेता है। अमीषी की आंखें अपने आप बंद हो जाती है।

"आई एम सॉरी प्रिंसेस!" अमीषी के चेहरे को दोनों हाथों में भरकर पछतावे का भाव लिए श्लोक बोला।

अमीषी ने श्लोक का हाथ अपने गालों पर से हटा दिया। "यूं महल में रहने से, आगे पीछे इतने नौकर लगा देने से, इतने एक्सपेंसिव गिफ्ट्स दे देने से कोई लड़की प्रिंसेस नहीं हो जाती। उसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी होती रिस्पेक्ट ! जो आप मुझे नहीं देते!" मायूस होकर अमीषी बोली और उठकर जाने लगी।
अमीषी की बातें श्लोक को तीर की तरह चुभी। वो अपनी प्रिंसेस की कितनी इज्जत करता है ये तो बस वही जानता है। पर परिस्थितियां ऐसी बनी कि सबकुछ उलट पुलट हो गया। श्लोक जाकर अमीषी के आगे खड़ा हो गया।

"मुझे एक बार अपनी बात समझाने का मौका तो दो। मैं जानता हूं कि तुम्हें बहुत तकलीफ हुई है इन सबसे ! पर क्या हमारा रिश्ता इतना कमजोर है कि तुम एक बार मेरी बात सुन भी नहीं सकती?" पछतावे का भाव लिए श्लोक बोला।

श्लोक की बात सुनकर अमीषी हंसने लगी। वो एक तंज भरी हंसी थी जिसे श्लोक अच्छे से महसूस कर पा रहा था। श्लोक सवालिया नज़रों से अमीषी को देखने लगा जैसे उसकी हंसी को समझने की कोशिश कर रहा हो।

"हमारा रिश्ता ?? रियली मिस्टर ओबेरॉय !!" व्यंग्यात्मक लहजे में अमीषी बोली। अमीषी की बात सुनकर श्लोक आंखें छोटी करके अमीषी को देखने लगा।

"ये रिश्ता कभी हमारा था ही नहीं! इस रिश्ते में केवल आप थे! मैं तो कहीं थी ही नहीं! आपने हमेशा केवल अपनी मर्जी चलाई है इस रिश्ते में! जब मन चाहा जोड़ा! जब मन चाहा तोड़ा।" व्यंग्यात्मक लहजे में अमीषी फिर बोली।

ब्लोक झट से घुटनों पर बैठ गया और अपने हाथ अमीषी के कमर पर लपेट कर अपना चेहरा अमीषी के पेट पर रखकर उससे माफी मांगने लगा।

"मुझे माफ कर दो प्रिंसेस । प्लीज। बहुत बड़ी गलती हो गई मुझसे। मुझे बस एक आखिरी मौका दे दो! प्लीज! आज के बाद कभी ये गलती नहीं होगी। तुम मुझे जो सजा देना चाहती हो! दो! पर मुझसे यूं नाराज मत हो! प्लीज प्रिंसेस ! मैं तुम्हारी कसम खाकर खाता हूं कि मुझे जब से तुमसे प्यार हुआ है में ने किसी लड़की की तरफ आंख उठाकर नहीं देखा है। ना ही देखूंगा! वो सब बस एक झूठ था प्रिंसेस ! प्लीज मुझे माफ कर दो। बस एक आखिरी बार! प्लीज प्रिंसेस! आई लव यू प्रिंसेस! आई रियली लव यू! में तुम्हारे बिना जी नहीं सकता। प्लीज प्रिंसेस। मुझे माफ कर दो। प्लीज बस आखिरी बार!" माफी मांगता हुआ श्लोक बोला। उसके लहजे में एक गिल्ट था जिसे अमीषी महसूस कर रही थी पर जाने क्यों ग्लोक की उस कल्ब डांसर से नजदीकी वो भूल नहीं पा रही थी। श्लोक के वो तीखे शब्द जो उसने उससे कल्ब में कहे थे उसे बार बार याद आ रहे थे जो उसके गुस्से को फिर से भड़का रहा था।

अमीषी चुपचाप किसी रोबोट की तरह खड़ी थी। उसके हाथ चाहकर भी श्लोक के कंधे और सिर पर जा नहीं पा रहे थे। जो सब हुआ उसे इतनी आसानी से भूलना नामुमकिन था। और बात जहां अमीषी के सेल्फ रिस्पेक्ट की हो तब तो अमीषी कुछ नहीं सुनती थी।


"माफ उन्हें करते हैं। जिन पर भरोसा हो। और मुझे आप पर घंटा भरोसा नहीं है। और अगर आप सचमुच मुझसे प्यार करते तो मुझे सच्चाई बताते ! छोड़िए मुझे!" दांत पीसती हुई अमीषी बोली और श्लोक को खुद से अलग करने लगी पर श्लोक ने अमीषी को कसकर पकड़ रखा था। जैसे जिद पर अड़ा हो कि जबतक माफ नहीं करोगी में नहीं छोडूंगा।

तभी एक सर्वेट दरवाजे पर आकर नॉक करती है। पर श्लोक फिर भी अभी भी अमीषी को ऐसे ही पकड़ रखा था। अमीषी दरवाजे पर जाना चाहती थी पर श्लोक उसे छोड़ ही नहीं रहा था। सर्वेट ने दोबारा नॉक किया तो अबकी बार श्लोक को गुस्सा आ गया। वो गुस्से में तमतमाता हुआ उठा और दरवाजा खोलकर उस सर्वेट पर बरस पड़ा।

"व्हाट हैपेन?" गुर्राता हुआ श्लोक बोला।

श्लोक के गुस्से को देखकर पहले तो सर्वेट डर गई पर फिर किसी तरह खुद को संभालती हुई बोली "स... सर! न... नीचे म... मैम की फ... फैमिली आ... आई है। आ.... आपसे म... मिलना चा.... चाहती है।" थूक गटकती हुई वो सर्वेट बोली।

अमीषी ने जैसे ही सुना कि उसकी फैमिली आई है उसकी आंखों में चमक आ गई और वो बिना कुछ सोचे समझे नीचे की तरफ भागी। श्लोक उसे देखता रह गया। जब तक वो कुछ समझ पाता अमीषी वहां से जा चुकी थी।

अमीषी नीचे सीधा जाकर सुनंदा से लिपट गई। सुनंदा ने भी उसे अपनी बाहों में भर लिया। वहां पूरी ओबेरॉय फैमिली भी थी पर अमीषी ने सबको इग्नोर किया था। "मुझे पता था मम्मी कि आप लोग मुझे लेने जरूर आएंगे। मुझे यहां से ले चलिए मम्मी। मुझे यहां नहीं रहना। प्लीज मम्मी।" जिद करती हुई अमीषी बोली।

सुनंदा ने अमीषी की बातों का कोई जवाब नहीं दिया, बस उसका माथा सहलाती रही। कोई कुछ नहीं बोल रहे थे क्योंकि वो यहां अमीषी से मिलने नहीं बल्कि सुमित की नौकरी के बारे में बात करने आए थे।

तब तक पीछे से श्लोक भी आता है। वो बिना कुछ कहे किंग साइज सोफे पर पैर पर पैर चढ़ाकर किसी राजा की तरह फूल एटीट्यूड से बैठ जाता है और गर्ग फैमिली को घूरने लगता है। गर्ग फैमिली का यहां यूं आना श्लोक को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा था।

सब आंखों ही आंखों में सुमित को इशारा करते हैं तो सुमित डरते हुए श्लोक के पास जाता है और उससे कुछ दूरी पर जाकर खड़ा हो जाता है। उससे बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी पर फिर भी बोलना तो था ही। श्लोक का औरा अभी इतना भयानक लग रहा था कि सबके प्राण तो उसे देखकर ही सूख गए थे।

"स....सर! म... मुझे आपसे क... कुछ बात करनी है।" धूक गटकता हुआ श्लोक बोला।

"हम्म्!" सोफे की बांह पर उंगलियां चलाता हुआ श्लोक बोला।

"म... मुझसे ग... गलती हो ग... गई सर! म... मुझे आ... आपको रे... रेजिग्नेशन न... नहीं भ... भेजना च... चाहिए था। स... सॉरी सर! आई एम रियली वेरी वेरी सॉरी! म... मुझे ज... जॉब फिर से ज.... ज्वाइन करनी है! अ... अपनी सारी ब.... बद्‌तमीजियों के लिए में म.... माफी मांगता हूं सर।" सहमी आवाज में सुमित बोला और अपने हाथ जोड़ लिए। सब डरकर श्लोक की तरफ देख रहे थे कि श्लोक का क्या जबाव होगा?

सुमित की बात सुनकर श्लोक के होंठों पर एक मिस्टीरियस स्माइल आ गई। "श्लोक ओबेरॉय की डिक्शनरी में माफी नहीं है!" ठंडी आवाज में ग्लोक बोला।

इससे पहले कि सुमित या कोई और कुछ कहता अमीषी ने सामने कांच के टेबल पर रखा पानी का गिलास उठाकर श्लोक के मुंह पर झोंक दिया। श्लोक का चेहरा सहित उसकी शर्ट भी भीग गई। श्लोक ने अपनी आंखें बंद कर ली। वहीं अमीषी की ये हरकत देख पूरी गर्ग फैमिली डर गई कि जब जाने श्लोक क्या करेगा? पर ओबेरॉय फैमिली पर कोई असर नहीं था क्योंकि श्लोक अमीषी की हर बद्‌त‌मीजी हंसते हंसते बर्दाश्त कर लेता था।

इससे पहले कि कोई कुछ कहता अमीषी बोल उठी "आप भैया से ऐसे क्यों बात कर रहे हैं? किस बात का एटीट्यूड दिखा रहे हैं उन्हें? जॉब देनी है तो दीजिए। नहीं तो मत दीजिए। इतना स्टाइल क्यों मार रहे हैं?" चिल्लाती हुई अमीषी बोली।

इससे पहले कि श्लोक कुछ कहता सुनंदा आकर अमीषी को चुप कराने लगी। "अम्मू! ये क्या कर रही है? दामाद जी से ऐसे पेश आती है तू?" अमीषी को शांत कराती हुई सुनंदा बोली।

"और जो ये सबसे ऐसे पेश आते हैं उसका क्या? इनको तो मैं एक मिनट में ठीक कर दूंगी!" दांत पीसती हुई अमीषी बोली और फिर से श्लोक को मारने के लिए झपटी। पर सुनंदा ने झट से अमीषी को पकड़ लिया। वहीं श्लोक हड़बड़ा कर सोफे से उठ खड़ा हुआ और अमीषी से थोड़ी दूर हो गया। उसका सारा एटीट्यूड धरा का धरा रह गया। वो भले ही दुनिया पर राज करता था पर अमीषी उसे कुछ नहीं समझती थी उल्टा उसकी ही चटनी बनाए रहती थी। सब ये देख कर हैरान थे कि श्लोक ओबेरॉय एक इतनी छोटी सी लड़की से डर रहा है।

"ओबेरॉय कोई दुनिया की अकेली कंपनी नहीं है भैया जो आप इनसे इतना रिक्वेस्ट कर रहे हो! बहुत कंपनीज है दुनिया में। चलिए यहां से!" सुमित का हाथ

पकड़कर वहां से जाती हुई अमीषी बोली।

"अम्मू। शांत हो जा! मुझे एक बार सर से बात तो करने दे।" अमीषी को रोकता हुआ सुमित बोला।

"कोई जरूरत नहीं है इनसे बात करने की! चलिए यहां से!" जबरदस्ती सुमित को खींचती हुई अमीषी बोली।

सुमित ना चाहते हुए भी अमीषी के पीछे चलने लगा। सब एक दूसरे का मुंह देखने लगे। अमीषी तो जैसे कुछ समझने के लिए तैयार ही नहीं थी। पर श्लोक के लिए ये एक गोल्डन चांस था जिसे वो गंवा नहीं सकता था।

"तुम फिर से जॉब कर सकते हो!" अचानक से श्लोक बोला तो सुमित के बढ़ते कदम अपने आप रूक गए। उसकी आंखों में चमक आ गई वहीं गर्ग फैमिली के साथ साथ ओबेरॉय फैमिली भी खुश हो गई।

सुमित एकदम से पलटा और दौड़ कर श्लोक के पास गया। "थैंक्यू सो मच सर। थैंक्यू सो मच। मैं आपको दोबारा कभी शिकायत का मौका नहीं दूंगा। आई प्रॉमिस सर।" चहकता हुआ सुमित बोला और हैंडसेक करने के लिए हाथ बढ़ाया।

श्लोक अपने पैंट के पॉकेट में हाथ डाले अभी भी अमीषी को ही देख रहा था। "पर मेरी एक शर्त है!" अमीषी को देखता हुआ ठंडी आवाज में श्लोक बोला।

श्लोक के इस बात पर सब सवालिया नज़रों से श्लोक को देखने लगे। श्लोक ओबेरॉय की शर्त आखिर क्या होगी? सब यही सोच रहे थे। सुमित ने अपना हाथ नीचे कर लिया।

"क... कैसी शर्त सर?" हकलाता हुआ सुमित बोला।

"अपनी बहन से कहो यहीं मेरे पास रहे! बदले में जॉब के साथ साथ तुम्हारा लोन भी माफ!" अमीषी को देखता हुआ मिस्टीरियस स्माइल के साथ श्लोक बोला।

अमीषी को श्लोक की बात सुनकर बहुत गुस्सा आता है। "मैं सिर फोड़ दूंगी आपका !" गुस्से से अमीषी चीखती है और टेबल पर रखा छोटा सा फ्लावर वॉश उठाकर श्लोक को फेंक कर मारती है। श्लोक ने मौके पर झुक जाता है जिससे फ्लावर वॉश पीछे गिरकर टूट जाता है।

"क... क्या करती हो प्रिंसेस? लग जाएगी मुझे!" हकलाता हुआ श्लोक बोला।

वहीं अमीषी की ये हरकत देख सब हैरान थे। अमीषी की बदमाशियां हद से ज्यादा


थी वहीं श्लोक दुनिया का पहला ऐसा पति था जिसने अपनी पत्नी को इतना सिर पर चढ़ा कर रखा था। सब श्लोक को देख सदमे में थे। वो कैसे अमीषी के इतने नखरे बर्दाश्त कर लेता था? एक सिकन तक नहीं थी उसके चेहरे पर। कोई नहीं कह सकता था कि ये वहीं श्लोक ओबेरॉय है जो दुनिया के सामने इतना एरोर्गेट, गुस्सैल और क्रूर बनकर रहता है जिसके नाम से ही दुनिया थर्राती है। और सबसे बड़ी बात ये थी कि अमीषी की इतनी बदमाशियों के बावजूद किसी की हिम्मत नहीं थी कि उसे एक शब्द कह दे।

पर अबकी बार सुनंदा से रहा नहीं गया। वो जोर से अमीषी को डांटती है "अम्मू! क्या हरकत है ये? दिन पर दिन बहुत बद्त‌मीज होती जा रही है तू!"

"ये तो कुछ भी नहीं है। मैं तो आज इनका मर्डर करके रहूंगी!" दांत पीसती हुई अमीषी बोली और श्लोक को मारने के लिए इधर उधर कुछ ढूंढने लगी।

वहीं श्लोक ने जब सुनंदा को अमीषी को यूं डांटते हुए देखा तो उसका पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उसे ये बात बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं थी कि कोई उसकी प्रिंसेस से यूं ऊंची आवाज में बात करे चाहे वो उसकी मां ही क्यों ना हो। उसने गुस्से में अपनी मुट्ठियां कस ली और खुद को कंट्रोल करने की कोशिश करने लगा। अगर सुनंदा अमीषी की मां नहीं होती तो जाने श्लोक उसका क्या करता?

कुणाल ने श्लोक का गुस्सा महसूस किया। इससे पहले कि सुनंदा फिर कुछ कहती आगे बढ़कर कुणाल ने उसका हाथ पकड़ हल्के से दबा दिया। "प्लीज! चुप हो जाइए आंटी। नहीं तो अभी घर में भूचाल आ जाएगा।" सुनंदा को समझाता हुआ धीरे से कुणाल बोला तो सुनंदा ने श्लोक की तरफ देखा जो अपनी लाल सुर्ख आंखों से उसे ही घूर रहा था। जिसे देखकर सुनंदा भी सहम गई। पर कहीं ना कहीं उसे अपनी बेटी की किस्मत पर नाज़ भी हो रहा था कि उसे इतना प्यार करने वाला, उसके इतने नखरे उठाने वाला पति मिला है।

अमीषी अभी भी इधर उधर कुछ ढूंढ रही थी। सुनंदा ने आगे बढ़कर अमीषी को पकड़ लिया और उसे समझाने लगी "देख बेटा! ऐसे व्यवहार नहीं करते! अपने पति की इज्जत करनी चाहिए। दामाद जी ने तुझसे माफी मांगी है ना। तो तू भी दामाद जी को माफ कर दे और भूल जा पिछली बातों को। नए सिरे से अपनी जिंदगी की शुरुआत कर। अब यही तेरा घर है। और रही बात सुमित के जॉब की। तो तू ही सोच ! उसे इतनी जल्दी इतनी अच्छी जॉब कहां मिलेगी? इतना बड़ा कर्ज कैसे चुकेगा? इसकी शादी कैसे होगी? रूही तेरी भी बेस्ट फ्रेंड है ना! उसके बारे में भी तो सोच!"

इस तरह सुनंदा ने उसे काफी समझाया तब जाकर मानी अमीषी वो भी बस अपने भाई की खातिर। श्लोक पर उसका गुस्सा अभी भी शांत नहीं हुआ था। वो मन ही मन सोच चुकी थी कि श्लोक की तो बैंड बजाकर रहेगी वो।

अमृता ने उन सबको बहुत रोका पर बेटी के ससुराल में रूकना उन्हें ठीक नहीं लगा। ऊपर से दो दिन बाद सुमित की सगाई थी उसकी तैयारी करनी थी सो अलग। इसके साथ ही नारायणपुर में ओबेरॉय कंपनी की जो एक ब्रांच खुलने वाली थी उसका आज उद्घाटन भी था। इसकी सारी तैयारियां सुमित को ही देखनी थी। इसलिए सब विदा लेकर चले गए। अमृता, अनिका, कुणाल और कल्पिता भी दूसरे विला चले गए। अमीषी भरी आंखों से एक बार फिर सबको जाती हुई देखती रही। उसके बड़े बड़े आंखों से टप-टप आंसू गिरने लगे।

श्लोक ने वापस से अमीषी को गोद में उठाया और ऊपर कमरे की तरफ चल पड़ा। खुद को श्लोक की गोद में देख अमीषी को फिर से बहुत गुस्सा आया। "फिर से मेरी कीमत लगाकर तो बहुत खुश हुए होंगे आप! किसी भी लड़की को इससे ज्यादा नहीं देख सकते ना आप!" दांत पीसती हुई अमीषी बोली।

श्लोक ने अमीषी की बात का कोई जबाव नहीं दिया। पर मन ही मन श्लोक बहुत खुश था जैसे उसने कोई जंग जीत ली हो। मन ही मन "ये तो कुछ भी नहीं है! तुम्हें अपने पास रखने के लिए में किसी भी हद तक जा सकता हूं प्रिंसेस । तुम मेरा प्यार! मेरा सुकून ! मेरा जुनून। मेरी सनक। मेरी जिद। सबकुछ हो। तुम्हें किसी भी हाल में खुद से अलग नहीं होने दूंगा में।"

श्लोक ने अमीषी को ले जाकर सीधा वॉशरूम में खड़ा कर दिया "जल्दी से नहाकर बाहर आओ! हम नारायणपुर चल रहे हैं कंपनी के इनॉग्रेशन (उद्घाटन) के लिए! और तुम भी मेरे साथ चल रही हो!" ऑर्डर देने के लहजे में श्लोक बोला।

"अपना ये ऑर्डर किसी और को दीजिएगा! मैं आपके साथ कहीं नहीं जा रही!" गुस्से में अमीषी बोली और श्लोक को घूरने लगी।

"अगर तुम चाहती हो कि तुम्हारे भाई को नौकरी ढूंढने के लिए दर दर की ठोकरें ना खानी पड़े तो रेडी होकर नीचे आ जाना।" सपाट लहजे में श्लोक बोला और वॉशरूम से बाहर आ गया। उसके निकलते ही लीजा अपनी दो टीम मेंबर्स के साथ वॉशरूम के अंदर चली गई। श्लोक तो खुद अभी अमीषी के साथ नहाना चाहता था पर अमीषी अभी उस पर इतना भड़की हुई थी कि अगर वो उसके पास भी जाता तो अमीषी उसकी बैंड बजा देती।

अमीषी को उस वॉशरूम में छोड़ श्लोक दूसरे वॉशरूम में चला गया। उसने सीधा अपने कपड़े उतारे और बाथ टब में सिर पीछे की ओर टिकाकर लेट गया और आंखें बंद कर ली। उसकी आंखों के आगे अमीषी का गुस्से वाला चेहरा घूमने लगा। कैसे अमीषी ने श्लोक पर मुंह से पानी गिराया? कैसे मारा? कैसे पानी फेंका? फ्लावर वॉश फेंका? ये सब याद आते ही श्लोक के होंठों पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई। "माय वाइल्ड कैट!" ब्लोक बुदबुदाया। है

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