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तेरी चाहत मे पार्ट (34) Love story // hindi storie / hindi kahani // stories | Hindi story // story // Love kahani

तेरी चाहत मे पार्ट (34) Love story // hindi storie / hindi kahani // stories | Hindi story // story // Love kahani Lovestory 34 "तुम अगर चाहती तो उन्हें भी समझा सकती थी!! पर तुमने ऐसा नहीं किया !!! देखो बेला.. मुझे मत बताओ की क्या करना है??? यह मेरी कंपनी है!! और तुम सिर्फ यहाँ काम करती हो!! अगर तुम्हें.. मिसेज शेखावत की तरह रौब झाड़ना है तो यह कभी नहीं होगा!! जाओ यहाँ से..... मैंने कहा.. जाओ यहाँ से!!!" बेला नाराज हो गई थी.. उससे भी ज्यादा आरव के कहे शब्दों से हर्ट हो गई थी!! वह बाहर चली आई... और दौड़ते हुए.. कैफे की तरफ चली गई!!! आरव के शब्द चुभ से रहे थे उसे !!! हर्ष और शेखर जी किसी फाइल को देखते हुए बात कर रहे थे।। उन्होंने बेला को भागते हुए देखा !! हर्ष ने फाइल शेखर जी को थमा दी।। और बेला के पीछे चला गया!!! शेखर जी ने आरव के केबिन की तरफ देखते हुए सोचा "लगता है बेला ने बात की और आरव सर ने सुनी नहीं!! और उसे ही डांट पड़ गई!!!.. बेचारी बेला!!!" हर्षः: क्या मैं भी यहाँ आकर बैठ सकता हूं??? बेलाः: हाँ!!! बैठिए ना!!! हर्षः: क्या हुआ??? तुम बात करने गई थी

मोहब्बत है सिर्फ़ तुम से पार्ट (254)/ hindi storie / hindi kahani // stories | Hindi story, love storyLove stories


मोहब्बत है सिर्फ़ तुम से पार्ट (254)/ hindi storie / hindi kahani // stories | Hindi story, love storyLove stories

अमीषी श्लोक के साथ बिल्कुल भी नहीं जाना चाहती थी। उसने गाड़ी से निकलने की बहुत कोशिश की पर श्लोक की पकड़ से कहां छूट पाती। उसने गाड़ी में भी श्लोक को बहुत मारा पर हमेशा की तरह उस पर कोई असर नहीं हुआ।

जैसे ही मेंशन के सामने गाड़ी रूकी अमीषी को श्लोक पर बहुत गुस्सा आया। उसने श्लोक का हाथ पकड़ा और पूरी ताकत उसके हाथ पर अपने दांत गड़ा दिए। श्लोक मुस्कुराता हुआ अमीषी को देख रहा था। मन ही मन उसे अमीषी की कोशिश पर बहुत हंसी भी आ रही थी पर वो किसी तरह खुद को कंट्रोल किया हुआ था। ड्राइवर दरवाजा खोलकर चुपचाप सिर झुकाकर बड़े अदब से एक ओर खड़ा हो गया और अमीषी श्लोक के हाथ पर दांत काट रही थी। दस मिनट तक दांत काटने के बाद भी जब श्लोक पर कोई असर नहीं हुआ तो अमीषी ने धककर दांत काटना छोड़ दिया।

श्लोक ने फिर उसे हमेशा की तरह बड़े प्यार से गोद में उठाया और सामने खड़ी इलेक्ट्रॉनिक कार में बैठ गया। अमीषी फिर छरपटाने लगी और श्लोक के गोद से उतरने की जी-तोड़ कोशिश करने लगी।

"छोड़िए मुझे! छोड़िए! कहीं नहीं जाना मुझे आपके साथ! छोड़िए मुझे!" श्लोक को मारती हुई अमीषी बोली पर श्लोक उसे यूं ही गोद में लिए बैठे रहा। श्लोक ने पूरे मेंशन को दुल्हन की तरह सजवाया हुआ था। जैसे जैसे इलेक्ट्रॉनिक कार आगे बढ़ रही थी उसपर फूलों की बारिश हो रही थी पर अमीषी आज बिल्कुल भी खुश नहीं थी। उसे श्लोक पर बहुत गुस्सा आ रहा था। हर चीज से मानो उसे घुटन महसूस हो रही थी।

श्लोक जबरदस्ती अमीषी को गोद में उठाकर मेंशन के अंदर आया और कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर दिया और अमीषी को प्यार से बेड पर बैठा दिया। कमरे को भी बहुत खूबसूरत तरीके से सजाया गया था। पर अमीषी उस सब पर ध्यान ना देकर गुस्से से श्लोक को घूरने लगी।

"क्यों लाए हैं आप मुझे यहां? अब कितने दिन और रखना है मुझे यहां? मन नहीं भरा अब तक मुझसे।" गुस्से में अमीषी बोली।

अमीषी की बात श्लोक को तीर की तरह चुभ गई। उसे बहुत बुरा लगा पर उसने किसी तरह खुद को संयत किया। उसने अमीषी को हल्का सा धक्का दिया, अमीषी उस मखमली बेड पर सिर के बल गिर गई, श्लोक उसके ऊपर आया और उसके दोनों और हाथ रखकर उसे अपने बीच ब्लॉक कर लिया और उसे समझाने की कोशिश करने लगा।

"देखो प्रिंसेस ! मेरी बात सुनो! मैं ने जो भी किया उसके.......

ब्लोक ने अभी इतना ही कहा था कि अमीषी फिर जोर जोर से चिल्लाने लगी "आऽऽआऽऽ! आपने मुझे मारा। आऽऽआऽऽ! आपने मुझे मारा !" अमीषी आंख बंद करके जोर जोर से चिल्लाती हुई अपने हाथ पैर मारे जा रही थी



और किसी छोटे बच्चे की तरह जोर जोर से अपना सिर झटकने लगी।

श्लोक झट से अमीषी के ऊपर से हटा और मुंह खोले अमीषी का ड्रामा देखने लगा। श्लोक ने उसे हाथ तक नहीं लगाया था और अमीषी जोर जोर से चिल्ला रही थी। सचमुच अमीषी बहुत बड़ी ड्रामा क्वीन थी। श्लोक अपना सिर खुजाते हुए मन ही मन "मैं ने इसे कब मारा?"

"प्रिंसेस। प्रिंसेस! मेरी बात तो सुनो।" हल्के से अमीषी का बांह पकड़कर ब्लोक बोला।

अमीषी और तेज तेज चिल्लाने लगी। उसने अभी तक अपनी आंखें नहीं खोली थी पर श्लोक का स्पर्श महसूस होते ही चिल्लाने लगी "आऽऽआऽऽ! आपने मुझे फिर मारा ! आऽऽआऽऽ!" और इसी तरह हाथ पैर और सिर झटक रही थी।

अमीषी अभी इतना जोर चिल्लाई थी कि श्लोक को लगा उसके कान के पर्दे फट जाएंगे। उसने अपनी आंखें भींच ली।

कुछ देर में श्लोक ने अपनी आंखें खोली तो अभी भी अमीषी उसके बगल में लेटी लेटी जोर जोर से चिल्ला रही थी। हाथ पैर सिर झटके जा रही थी। उसके इस तरह लगातार चिल्लाने से श्लोक बहुत परेशान हो गया था। अमीषी उसकी बात सुनना ही नहीं चाहती थी। श्लोक को कुछ समझ नहीं आया तो उसने अमीषी के दोनों हाथों को अपने हाथों में हल्के से उलझाया और अमीषी के कुछ समझ पाने से पहले ही अपने सख्त होंठ अमीषी के नाजुक गुलाबी पंखुड़ियों जैसे होंठो पर रख दिए और उसे बड़े प्यार से किस करके शांत करने की कोशिश करने लगा।

श्लोक के ऐसा करते ही अमीषी एकदम से शांत हो गई और उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई और पूरा चेहरा शर्म से लाल। श्लोक के किस में एक तड़प थी जिसे वो अच्छे से महसूस कर पा रही थी। श्लोक ने बड़े दिनों बाद अमीषी को किस किया था और वो उसे किस करने में खो गया था। वो अमीषी को बस शांत कराना चाहता था । अमीषी शांत तो हो चुकी थी पर श्लोक नहीं रूका था। वो बहुत ही पैशेनिएटली अमीषी को किस कर रहा था। वो कभी अमीषी के ऊपरी होंठों को सक करता तो कभी निचले होंठों को। अब तक उसका एक हाथ अमीषी के कमर पर आ गया था तो दूसरा हाथ अमीषी के जांघों को सहला रहे थे। इससे अमीषी के पूरे बदन में सिहरन होने लगी।

इधर अमीषी भी कुछ पल के लिए श्लोक के किस में खो गई पर अगले ही उस कल्ब डांसर से श्लोक की नजदीकी का मंजर उसकी आंखों के आगे घूम गया। श्लोक ने जैसे उसे किस किया था और जैसे उसके ब्रेस्ट को प्रेस किया था ये सब याद आते ही अमीषी का मन गुस्से और घृणा से भर गया। वो श्लोक को खुद से अलग करने के लिए उसके सीने पर हाथ रखकर उसे खुद से अलग करने की कोशिश करने लगी पर श्लोक पूरी तरह से खोया हुआ था। उसने अमीषी की


कोशिश को नजरंदाज किया और इसी तरह किस करता रहा।

किस करते हुए काफी देर हो चुकी थी और जब श्लोक को एहसास हुआ कि अमीषी को सांस नहीं आ रही है तो वो अमीषी से अलग हुआ। हमेशा की तरह अमीषी तेज तेज सांसें लेकर अपनी उखड़ी हुई सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश करने लगी। श्लोक ने उसे झट से सीने से लगा लिया और उसकी पीठ सहलाकर उसे शांत करने की कोशिश करने लगा। अमीषी कुछ देर तो उसके सीने से लगी रही पर जैसे ही वो शांत हुई उसने खुद को श्लोक के सीने से लगा पाया। उसका चेहरा फिर गुस्से और घृणा से भर गया। उसने श्लोक को जोर से धक्का दे दिया। इस अप्रत्याशित घटना के लिए श्लोक तैयार नहीं था इसलिए वो अमीषी से थोड़ी दूर हो गया। श्लोक समझ गया कि अमीषी फिर उससे गुस्सा हो गई है।

श्लोक ने झट से अमीषी का हाथ पकड़ लिया और उसे मनाने लगा "आ.... आई एम सॉरी प्रिंसेस! प्लीज मुझे माफ कर दो! तुम मेरी बात सुन ही नहीं रही थी......

श्लोक कह ही रहा था कि अमीषी हाथ छुड़ाकर वहां से उठकर जाने लगी। अबकी बार श्लोक को बहुत गुस्सा आया। अमीषी उसकी बात सुन ही नहीं रही थी। वो उसके आगे जाकर खड़ा हो गया और उसका रास्ता रोक लिया। अमीषी उसे गुस्से से घूरने लगी। इस वक्त अमीषी का पूरा चेहरा लाल हो गया था।

"बस! बहुत हुआ प्रिंसेस ! तुम मेरी बात सुन क्यों नहीं रही हो? एक बार मुझे मेरी बात समझाने का मौका तो दो! मैं कह रहा हूं ना कि बस मेरी एक ग़लती थी.....

श्लोक अभी बोल ही रहा था कि अमीषी बोल उठी और यही गलती अगर मैं ने की होती तो! किसी दूसरे मर्द........

"प्रिंसेस।" गुस्से में दहाड़ उठा श्लोक और आज पहली बार उसने अमीषी को मारने के लिए हाथ उठाया पर उसने अपने हाथ हवा में ही रोक लिए। उसकी आंखें लाल हो गई, जबड़े भींच गए। हाथ और माथे की नसें फूल गई और श्लोक गुस्से से कांपने लगा। अमीषी पर किसी गैर मर्द का साया भी श्लोक को बर्दाश्त नहीं था और आज इतनी बड़ी बात कह दी थी उसने। किसी गैर मर्द के लिए अमीषी का एक सेकेंड सोचना भी श्लोक को पागल कर देने के लिए काफी था। ये बात कहकर मानों अमीषी ने किसी ज्वालामुखी को फटने के लिए मजबूर कर दिया था। वो अपनी लाल सुर्ख आंखों से अमीषी को पूरने लगा। ये श्लोक का प्यार ही था कि उसके हाथ हवा में रूक गए थे।

वहीं अमीषी श्लोक की दहाड़ सुन अंदर तक कांप गई थी। उसने डर से अपनी आंखें भींच ली थी और अपने छोटे छोटे हाथों से अपना चेहरा ढक लिया था और डर से धरधर कांपने लगी थी। उसकी धड़कन एकाएक बहुत तेज हो गई थी और वो डर से लंबी लंबी सांसे ले रही थी। उसका पूरा चेहरा डर से लाल हो गया था। उसने श्लोक को इतने गुस्से में पहले कभी नहीं देखा था। अमीषी को तो ऐसा लगा


जैसे आज उसकी धड़कन ही रूक जाएगी। वो तो कमरा साउंड प्रूफ था नहीं तो श्लोक की दहाड़ सुन कितने ही सर्वेट स्वर्ग सिधार जाते।

कुछ देर में अमीषी ने धीरे से अपनी आंखें खोली तो सामने श्लोक को खुद को यूं घूरते हुए पाया और श्लोक के हाथ अभी भी हवा में थे। पर आज अमीषी भी शायद नहीं मानने वाली थी।

"र.... रूक क... क्यों गए? म.... मारिए! मारिए ना मुझे।" अपनी सारी हिम्मत बटोर कर कांपती आवाज़ में अमीषी बोली।

"बहुत बोल रही हो तुम प्रिंसेस।" गुस्से में चीख उठा श्लोक।

"चिल्लाइए मत!" उंगली दिखाते हुए गुस्से में अबकी बार अमीषी भी चीखी।

इससे पहले कि श्लोक कुछ कहता अमीषी फिर गुस्से में बोलने लगी "समझते क्या हैं आप अपने आपको? हर बार यूं चीख चिल्लाकर आप अपनी सारी गलतियों को सही कर लेंगे। आपकी सारी गलती बस इसलिए माफ है क्योंकि आप एक मर्द हैं। आप मर्द हैं तो क्या आप कुछ भी करेंगे? और में एक लड़की हूं तो मेरे लिए सब गलत है। अगर में दूसरे किसी लड़के की तरफ देख भी लूं तो जाने आप क्या करेंगे? और खुद क्या किया? अरे ऐसी कौन सी मजबूरी आ गई थी कि आपने मुझे डिवोर्स दिया? चलो माना कि कोई बहुत बड़ा कारण होगा? पर क्या उस लड़की के इतने करीब जाना भी आपकी मजबूरी थी? सबके सामने मेरी यूं इंसल्ट करना भी आपकी मजबूरी थी! आप अगर मेरी आंखों के सामने ऐसा करते हैं तो जाने पीठ पीछे क्या सब करते होंगे? और में पागल आज तक आपकी हर बात पर आंख मूंद कर विश्वास करती आई ! और आपने क्या किया? यूं एक झटके में सबके सामने मुझे अपनी मिस्ट्रेस साबित कर दिया! ये नहीं सोचा कि इस सबसे मुझ पर क्या बीतेगी? कितना टूट जाउंगी में?" कहते कहते अमीषी की आवाज भर्रा गई और वो अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से ढककर सुबकने लगी। बहुत दर्द और गुस्सा भरा था अमीषी की बातों में। सचमुच अमीषी बहुत तकलीफ में थी।

अमीषी को यूं रोता देख श्लोक का सारा गुस्सा हवा हो गया। उसके दिल में मानों तेज दर्द होने लगा। उसने झट से अमीषी को अपनी गोद में उठा लिया और सीने से लगा लिया। ग्लोक का प्यार भरा स्पर्श पाते ही अमीषी श्लोक के सीने में चेहरा छुपा कर जोर जोर से रोने लगी। उसके एक एक आंसू श्लोक को बहुत तकलीफ दे रहे थे। मानों किसी ने मुट्ठी में भींच कर उसके दिल को जोर से दबा दिया हो। "आई एम सॉरी प्रिंसेस। प्लीज मुझे माफ कर दो। मेरा इरादा तुम्हें हर्ट करने का बिल्कुल भी नहीं था। प्लीज! आई एम सॉरी! बस एक बार मेरी बात सुन लो! फिर तुम जो कहोगी मैं करूंगा! मैं सब ठीक कर दूंगा! बस एक आखिरी मौका मुझे दे दो! प्लीज!" पछतावे का भाव लिए श्लोक बोला। सचमुच श्लोक को बहुत गिल्टी फील हो रहा था।


श्लोक की बात सुनकर अमीषी श्लोक के सीने से अपना छोटा सा सिर निकाल कर श्लोक को देखने लगी। वो अभी भी सिसक रही थी। अमीषीः (सिसकती हुई) क.... क्या ठीक कर द... देंगे आ... आप? ब... बोलिए ना! क... क्या ठीक कर देंगे? आ... आपने अ... अपना प्रॉमिस तोड़ा है। आ... आपने कहा था कि आ... आप मुझे क... कभी नहीं छोड़ेंगे! पर आ.... आपने मुझे छोड़ दिया! म... मुझे डिवोर्स दे दिया! और... और वजह भी बताना जरूरी नहीं समझा! स... सबके सामने म... मेरी इंसल्ट की! सब क... कितनी ग.. गंदी नजरों से देख रहे थे मुझे? आ... आपकी आंखों के सा... सामने मुझे क... किसी ने अपने साथ स.... सोने के ऑफर किया। क... क्या इसे ठीक कर देंगे आप? में क... कितना रोई? प... पर आप मुझे लेने नहीं आए ! आ... आप मुझे कभी कुछ नहीं बताते ! एना के व... वक्त भी आपने मुझे ऐ... ऐसे ही घर से निकाल दिया। और... और इस वक्त भी आ... आपने यही किया। ब... बस मुझे बदले में पैसे दिए। म... मैं क्या कोई प्रॉसटीच्यूट (वेश्या)...

अमीषी ने ये कहा ही था कि श्लोक ने झट से उसके होंठों पर उंगली रख दी। अमीषी के मुंह से इतना बुरा वर्ड सुनकर श्लोक का दिल जोरों से धड़कने लगा था। कितनी बड़ी बात कह दी थी उसने आज। श्लोक अमीधी के दिल का दर्द अच्छी तरह समझ रहा था। वो समझ रहा था कि उसे कितनी तकलीफ पहुंची है इस सबसे। अमीषी का पूरा चेहरा आंसुओं से भींग गया था और रोने से आंखें लाल हो गई थी। उसका पूरा चेहरा और उसकी छोटी सी नाक भी लाल हो गई थी।

"य... ये क्या कह रही हो तुम प्रिंसेस? त... तुम्हें इसका मतलब भी पता है?" कांपती आवाज़ में श्लोक बोला और अमीषी के आंसू पोंछने लगा। उसका दिल अभी जाने कितने की स्पीड से धड़क रहा था। अमीषी अभी भी श्लोक की गोद में ही थी।

"मुझे न... नहीं पता है। प... पर आपको तो सब पता है ना! फिर आपने मेरे स.... साथ ऐसा क... क्यों किया? आ... आपको क्या लगता है कि में ब... बस पैसों के लिए आपके स... साथ हूं? इ... इतना ही जा... जानते हैं म... मुझे आप! म... मैं क्या कोई चीज हूं? जिसे आ... आप जब जैसे चाहे इस्तेमाल कर सकते हैं! ज... जब आपका मन किया मुझसे श... शादी कर ली और... और जब जी चाहा मुझे छ.... छोड़ दिया! म... मुझे तकलीफ़ न.... नहीं ह... होती क..... क्या? अ... अगर कोई ब... बहुत बड़ी बात थी तो म... मुझे बताया क्यों नहीं? ये सब क... क्यों किया? क... कहने को तो मैं श... श्लोक ओबेरॉय की बीवी हूं! प... पर मेरी इतनी सी भी (उंगली से इशारा करते हुए) इज... इज्जत नहीं छोड़ी आपने!" सिसकती हुई अमीषी बोली।

श्लोक के पास अमीषी की बातों का कोई जबाव नहीं था। वो क्या बोले उसे समझ


नहीं आ रहा था। कैसे अमीषी के दर्द को कम करे? क्या कहे उससे? क्या सफाई दे? अभी तो श्लोक यही सोच रहा था कि काश वो अपनी सारी दौलत लुटाकर भी बीते वक्त में जा सकता तो कुछ चीजें सही कर देता। अपनी प्रिंसेस को इस तकलीफ़ से बचा लेता।

क्रमशः

(क्या अमीषी श्लोक की बात समझ पाएगी? क्या अमीषी श्लोक को माफ करेगी? क्या दोनों के बीच सब ठीक होगा? श्लोक अब अपनी प्रिंसेस को मनाने के लिए क्या करेगा? क्या श्लोक सुमित को दोबारा जॉब देगा? जानने के लिए कहानी से जुड़े रहें धन्यवाद
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